सर्द हवाओं के बीच शरीर को गर्माहट प्रदान करने के लिए स्टीम बाथ एक बेहतरीन विकल्प है। इससे न केवल शरीर को ताज़गी मिलती है बल्कि शरीर कई समस्याओं से मुक्त हो जाता है। हॉट स्टोन्स से निकलने वाली भाप से शरीर को मिलने वाली गर्माहट मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन से लेकर स्किन का लचीलापन बनाए रखने में मदद करती है। 10 से 15 मिनट की इस रिलैक्सिंग तकनीक से सर्दियां सुखदायी बन जाती है। जानते हैं स्टीम बाथ क्या है और इससे मिलने वाले फायदे भी (Benefits of steam bath)।
इस बारे में स्किन केयर एक्सपर्ट रेखा कुमारी का कहना है कि स्टीम बाथिंग यानि सॉना बाथिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें शरीर को गर्माहट देने के लिए गर्म पत्थरों से निकलने वाली भाप का प्रयोग किया जाता है। इससे शरीर पर पसीना आने लगता है। लकड़ी के कमरे में दी जाने वाली स्टीमिंग से तन और मन शांत होने लगते हैं। वुडन रूम को टेम्परेचर 60 से लेकर 180 के बीच में पाया जाता है। इसकी शुरूआत हज़ारों साल पहले फिनलैंड में हुई थी। जहां लोगों के घर स्टीम बाथिंग के लिए अलग से लकड़ी से बने कमरे मौजूद होते हैं।
अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार स्टीम बाथ के दौरान 10 से 15 से ज्यादा न बैठें। इससे शरीर में कई समस्याओ का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप पहली बार सॉना बाथिंग एक्सपीरिएंस कर रहे हैं, तो अपने शरीर के अनुसार ही स्टीम बाथ लें। शुरूआत में 5 से 10 मिनट का समय शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
स्टीम बाथिंग से शरीर में रक्त का प्रवाह नियमित होने लगता है। इससे कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को मज़बूती मिलती है। इसके चलते शरीर में हृदय से संबधी समस्याओं का खतरा कम होने लगता है। स्टीम बाथ की मदद से ब्लड प्रेशर में आने वाले उतार चढ़ाव को नियमित किया जा सकता है। इससे शरीर का तापमान उचित बना रहता है।
नियमित तौर पर स्टीम बाथ लेने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है। शरीर में एनर्जी का लेवल बढ़ने लगता है। साथ ही शरीर में बढ़ रहा स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का स्तर धीरे धीरे कम होने लगता है। स्टीम बाथ को सॉना बाथ भी कहा जाता है। इससे मेंटल हेल्थ मज़बूत होती है।
स्टीम बाथ की मदद से बढ़ रहे वज़न को रोका जा सकता है। इससे होने वाली स्वैटिंग से अतिरिक्त कैलोरीज़ बर्न होने लगता है। सर्दियों में खासतौर पर स्टीम बाथ बेहद फायदेमंद साबित होता है।
त्वचा पर होने वाली ओपन पोर्स के कारण उनमें तेल और पॉल्यूटेंटस के कारण ब्लैक हेड्स की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए स्टीम बाथ लें। इससे पोर्स में जमा गंदगी अपने आप बाहर आने लगती है, जिससे स्किन पर होने वाली मुहासों से राहत मिल जाती है।
वे महिलाएं जो गर्भावस्था में हैं, उन्हें स्टीम बाथिंग से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
क्रानिक बीमारी के शिकार लोगों को भी मेडिकेशंस के साथ स्टीम बाथ लेने से परहेज करना चाहिए।
शरीर को र्निजलीकरण से बचाने के लिए नहाने से पहले और बाद में 1 से 2 गिलास पानी अवश्य पीएं।
स्टीम बाथ लेने से पहले हैवी मील लेने से बचें। इससे वॉमिटिंग का जोखिम बना रहता है।
अगर स्टीम बाथ के दौरान आपको नींद आने लगे, तो फौरन बाहर आ जाएं।
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