एंग्जायटी ऐसी मानसिक समस्या है, जो आपके पूरे स्वास्थ्य को संकट में डाल देती है। इस के कारण आप अक्सर बेवजह की बातों से घबराने लगते हैं, जैसे डेडलाइन, एग्जाम का परिणाम, जॉब इंटरव्यू इत्यादि। एंग्जायटी अगर गम्भीर स्तर पर पहुंच जाती है तो शरीर करो या मरो वाली स्थिति में पहुंच जाता है। इसीलिए एंग्जायटी होने पर सांस लेने में दिक्कत से लेकर हाथ-पैर कांपना और पसीने छूटने जैसी समस्या हो जाती है।
आज के समय में मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात हो रही है, जिसका श्रेय सोशल मीडिया को ही जाता है। लेकिन इसके साथ ही एक समस्या है जिस पर फिलहाल बात नहीं हो रही, मगर होनी चाहिये। वह समस्या है एंग्जायटी के कारण होने वाले दस्त। हर बार एंग्जायटी में पेट में प्रेशर बनना और बाथरूम जाने की जरूरत पड़ना एक चिंता का विषय है। और इस समस्या से जूझने वाले आप अकेले नहीं हैं, यह एक आम समस्या है।
इसका कारण है हमारे दिमाग और पेट का स्ट्रांग कनेक्शन।
हमारा दिमाग जो भी महसूस करता है, उसका रिएक्शन पेट में भी होता है। जैसे कि अपने प्रेमी को देखते ही आपके पेट में गुदगुदी सी होती है जिसे पेट में तितलियां उड़ना कहते हैं। जब आप कुछ वीभत्स देखते हैं, तो उल्टी आने लगती है। ऐसे ही चिंता और एंग्जायटी के कारण आपके पेट का मोशन गड़बड़ा जाता है।
हमने फोर्टिस मेमोरियल इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के न्यूरोलॉजी डायरेक्टर डॉ प्रवीण गुप्ता से जाना क्यों एंग्जायटी से हमारा पेट प्रभावित होता है।
डॉ गुप्ता बताते हैं,”दिमाग ही पूरे शरीर से काम करवाता है, हम जो भी करते हैं दिमाग के कहने पर ही करते हैं। तो जब हम चिंतित होते हैं, तनाव में होते हैं या दुखी होते हैं तब दिमाग अलग तरह से काम करता है। एंग्जायटी में भी कुछ ऐसा ही होता है। एंग्जायटी होने पर हमारे पाचनतंत्र के एंज़ाइम बदल जाते हैं। इससे आंतो का मूवमेंट बदल जाता है, जिसके कारण हमें दस्त की शिकायत होती है।”
डॉ गुप्ता कहते हैं,”एक बार एंग्जायटी खत्म हो जाती है, तो पेट भी अपने आप ठीक हो जाता है। सिर्फ़ दस्त ही नहीं, एसिडिटी, क्रेम्प्स जैसी पेट की समस्या भी होती है।”
क्या पेट की इस तकलीफ़ से बचने का कोई रास्ता है? इसका समाधान यही है कि हम एंग्जायटी को कंट्रोल करें। एंग्जायटी के लिए मेडिटेशन और एक्सरसाइज की मदद लें। अगर आपको हर छोटी-बड़ी बात पर एंग्जायटी महसूस होती है, तो किसी प्रोफेशनल से मिलने का समय है।