इंसान जब बोलना नहीं जानते थे, तो वे अपनी बात कहने के लिए आड़ी-तिरछी रेखाओं और चित्रों का सहारा लेते थे। इन चित्रों और रेखाओं ने उनके विकास में बहुत योगदान दिया है। आज भी ये चित्र और रेखाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। बच्चा जब बैठने लगता है, तो वह भी पेन, पेंसिल और चॉक हाथ में लेकर कागज, पेपर या दीवार पर घिसने लगता है। इस घिसने और चित्र बनाने की प्रक्रिया को ही हम स्क्रिबलिंग नाम देते हैं। ये बच्चों के विकास (Child Development) में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए इंटरनेशनल स्क्रिबलिंग डे (International Scribbling Day) पर जानते हैं मानसिक स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है स्क्रिबलिंग (Scribbling benefits)।
चाइल्ड डेवलपमेंट में स्क्रिबलिंग किस तरह महत्वपूर्ण (Mental Health Improvement) है, इसके बारे में सीनियर क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट और अनन्या चाइल्ड डेवलपमेंट एंड केयर संस्था की डायरेक्टर डॉ. ईशा सिंह ने हेल्थशॉट्स को विस्तार से बताया। पेरेंट्स को स्क्रिबलिंग के प्रति जागरूक करने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय स्क्रिबलिंग डे (International Scribbling Day) भी मनाया जाता है।
बच्चों को कला के माध्यम से दयालुता (Kindness) सिखाने और उनका चारित्रिक विकास करने के लिए हर वर्ष 27 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय स्क्रिबल दिवस मनाया जाता है। यह बच्चों में रचनात्मकता और अच्छे गुणों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आपमें कलात्मक क्षमता बहुत अधिक हो।
डॉ. ईशा कहती हैं, ‘मानव मस्तिष्क बहुत जटिल है। कुछ वैज्ञानिकों (Theorists) ने इसकी तुलना एक हिमशैल (Iceberg) से की है। जो भाग समुद्र के ऊपर है और दिखाई देता है, वह है कॉन्शियस माइंड (Conscious Mind)। समुद्र के नीचे का हिस्सा सब्कान्शियस एंड अनकॉन्शियस माइंड (Subconscious and Unconscious Mind) का निर्माण करता है। इसको सही रूप में मापना और इसका पता लगाना लगभग असंभव है।
स्क्रिबलिंग को ‘डूडलिंग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह हमारे सब्कान्शियस एंड अनकॉन्शियस माइंड का एक रिफ्लेक्टिव व्यवहार है। आपने देखा होगा कि बैठक, प्रतीक्षालय, कक्षा या किसी अन्य स्थान पर यदि हमें कलम और कागज मिल जाए, तो बिना सोचे-समझे हम उस पर अजीब सी रेखाएं बनाने या घसीटने (Scribbling) लगते हैं। यह किसी प्रकार की आकृति हो सकती है या सिर्फ रेखा या फिर आकृति। हमारे दिमाग में आने वाली किसी भी चीज़ के बारे में हम स्क्रिबल करने लगते हैं।
डॉ. ईशा कहती हैं, ‘दरअसल ये कलाएं (स्क्रिबल्स) अक्सर दर्शाती हैं कि हम उस समय क्या महसूस कर रहे हैं। यह ख़ुशी (Happiness), चिंता (Anxiety) या आनंद (Pleasure) भी हो सकता है। जैसा कि इन डूडल की उत्पत्ति हमारे सब्कान्शियस माइंड से होती है, कभी-कभी इसे हमारे वर्तमान से जोड़ना मुश्किल हो जाता है। यह हमें अर्थहीन भी लग सकता है। पर एक साइकोलोजिस्ट यदि डूडल या स्क्रिबल (Doodle Or Scribble) का सावधानीपूर्वक और गूढ़ अध्ययन करे, तो व्यक्ति के माइंड और उसकी स्थिति (Mental Health Improvement) के बारे में खुलासा हो सकता है।
क्या आपने कभी बिना सोचे-समझे या लापरवाही में कलम चलाई है? बाद में अपने लिखे को समझ भी सकते हैं और नहीं भी। स्क्रिबल वास्तव में यही है। स्क्रिबल करने का अर्थ है जल्दी और धीरे-धीरे कुछ लिखना। यदि उसे पढ़ना मुश्किल है, तो उसे घसीटना (Scribble) कहा जा सकता है।
यह बच्चों के लिए लिखना और ड्रॉइंग सीखने का पहला चरण हो सकता है। इसमें बच्चा बिना किसी परवाह के आड़ी-तिरछी रेखाएं खींचता और चित्र बनाता है। स्क्रिबलिंग को ही हम डूडलिंग भी कह सकते हैं। किसी वयस्क के लिए आड़ी-तिरछी रेखाओं (Scribbling) का कोई मतलब नहीं हो सकता है। ये उन्हें बहुत सारी रेखाओं, छोरों और चक्करों के रूप में दिखेंगे। एक छोटे बच्चे के लिए ये निशान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उनके लिए अपने विचारों को प्रकट करने का यह एक तरीका हो सकता है।
यदि कोई बच्चा या व्यक्ति एक ही स्थान पर बार-बार डूडल बना रहा है, तो यह चिंता का संकेत है। अक्सर जब लोग दबाव में होते हैं, तो बार-बार एक ही स्थान पर घसीटते रहते हैं। यह अपराधबोध का संकेत भी हो सकता है। डूडल के माध्यम से ऊबने, नाखुश होने, गुस्से को दबाने या आत्मविश्वास की कमी भी दिख सकती है।
जब आप परेशान हैं, तो ड्राइंग से आपको शान्ति मिलती है। यह आपका ध्यान केंद्रित कर पाता है। स्केचिंग, डूडलिंग या कलरिंग सभी स्क्रिबलिंग की तरह हैं, जिनसे आपका तनाव दूर होता है।
माइंड पर किये गये शोध के अनुसार, रचनात्मक गतिविधियों जैसे रंग भरने या कोलाज बनाने की तरह डूडलिंग आपको आराम पाने में मदद कर सकता है। मस्तिष्क का जो हिस्सा एंगर या एंग्जाइटी को नियंत्रित करता है, स्क्रिबलिंग शांत करता है।
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