घर, ऑफिस और लोगों के बीच आप पहले की तरह अब कान्फिडेंट नहीं रहती। आपकी बॉस आपके परफार्मेंस से नाखुश रहती हैं। एक तरफ आप अपनी परफार्मेंस को लेकर परेशान हैं और दूसरी तरफ आपकी सेहत साथ नहीं दे रही। हमेशा चिंतित रहती हैं। जो भी करने की सोंचती हैं वो कर नहीं पाती हैं। शरीर में काफी थकावट बनी रहती है। आपकी भावनाएं कमजोर पड़ गई है, तो हो सकता है कि आप बर्नआउट की शिकार हों। काम के ओवर लोड और समय की कमी के कारण कोई भी बर्नआउट का शिकार हो सकता है। पर एक छोटी सी पावर नैप आपको इस समस्या से उबरने में मदद कर सकती है। आइए जानते हैं आपकी सेहत और प्रोडक्टिविटी के लिए कैसे फायदेमंद है पावर नैप (Power nap benefits)।
बर्नआउट हमेशा चिंता में रहने, भावनात्मक रुप से कमजोर पड़ने और एक के बाद एक अपनी मांगों को पूरा कर पाने में असमर्थ होने के कारण शुरु होती है। इस समस्या की चपेट में आने के बाद हम भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक थकान से जूझने लगते हैं।
दरअसल जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, इच्छाएं और कुछ कर गुजरने की प्रेरणाएं खत्म होने लगती हैं। जिसके चलते हम पहले की तरह परफार्मेंस नहीं दे पाते हैं। परफार्मेंस घटने के साथ-साथ खुद को काफी कमजोर समझने लगते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हम खुद को नाकारा समझने लगते हैं। और इस स्थिति से बचना जरूरी है। कभी-कभी यह चिड़चिड़ेपन और गुस्से के साथ आता है।
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जर्मनी के डॉर्टमुंड यूुनिवर्सिटी के डॉ. स्टीफ़न डायस्टेल ने एक स्टडी में पाया कि जिन लोगों को बर्नआउट की समस्या है, उनमें तनाव संबंधी बीमारीयों के होने का खतरा बाकियों की अपेक्षा 50 फीसदी अधिक देखा गया है। यह तनाव न केवल आपकी प्रोडक्टिविटी, बल्कि रिलेशनशिप को भी प्रभावित करता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप समय रहते इससे बचें।
जी हां ये सच है, दिन के समय एक छोटी सी पावर नैप आपको बर्नऑउट की समस्या से निजात दिला सकती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध में यह सामने आया है कि एक छोटी सी झपकी (power nap) आपको बर्नआउअ से बचा सकती है।
दरअसल हर रोज लगातार एक ही काम में व्यस्त रहने से हमारे दिमाग के कुछ हिस्से में थकान होने लगती है। ऐसे में झपकी हमारे दिमाग को विराम देती है। ऐसा होने के बाद दोबारा हमारा दिमाग अपनी क्षमताओं को हासिल कर लेता है। हार्वर्ड की स्टडी बताती है कि झपकी आने के बाद दिमाग की खोई क्षमता वापस आ जाती है। और इससे हमारी परफार्मेंस बढ़ जाती है। साथ ही मूड भी बूस्ट होता है।
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थोड़े समय की नींद या झपकी आने पर कॉगनिटीव परफार्मेंस बेहतर हो जाती है। जिस किसी को यह आती है, उसकी मनोदशा बाकियों की तुलना में अच्छी होती है। काम के दौरान झपकी आना अच्छी बात है और इससे हमारे सीखने और याद रखने की क्षमता पर पॉजिटिव असर पड़ता है।
वहीं अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने भी एक स्टडी में पाया है कि जो पायलट कॉकपिट पर बैठकर एयरक्राफ्ट ड्राइविंग के दौरान 26 मिनट के लिए झपकी लेते हैं उनके अंदर झपकी न लेने वाले पायलट की तुलना में 54 फीसदी अधिक सतर्कता (naps improve alertness) देखी गई। झपकी लेने वाले इन पायलटों की जॉब परफार्मेंस में भी 34 फीसदी सुधार (naps improve job performance) देखा गया। 26 मिनट की झपकी काफी लंबी है। वैसे इससे कम समय की झपकी लेने के बाद नींद अचानक खुलें और दिमाग पूरी क्षमता से काम करने के लिए तैयार हो जाए तो ऐसी झपकी भी अच्छी है।
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नासा की सिफारिश है कि 10 से 20 मिनट की झपकी काफी कारगर है। सोते समय आप बिना किसी घबराहट बेचैनी के लंबी नींद लेते हैं, तो उससे भी आपको कई फायदे होते हैं। झपकी लेने से हमारी यादाश्त को बढ़ावा मिलता है, परफार्मेंस में सुधार होता है। दिमाग बेहतर ढंग से काम करती है और शरीर के तनाव में कमी होती है।
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार भरपूर नींद से दिमाग की कोशिकाओं, मांसपेशियों और शरीर के अंगों को विराम मिलता है और इससे हमारे शरीर के तनाव में कमी व मनोदशा में सुधार होती है। अच्छी नींद लेने से हमारी सतर्कता, रचनात्मकता और सेहत से जुड़े बाकी अहम पहलुओं में सुधार होती है।
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