अमेरिका में 18 साल की उम्र या उससे ज्यादा के, 8 करोड़ से भी ज़्यादा ऐसे लोग हैं जो इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या से जूझ रहे हैं। भारत के सटीक आँकड़े तो नहीं हैं लेकिन इससे जूझने वालों की संख्या कम नहीं। इंसुलिन रेजिस्टेंस को आप ऐसे समझ सकते हैं कि जिस बीमारियों से अमूमन लोग जूझते हैं, जैसे- हाई ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, फैटी लीवर या फिर कई बार लीवर कैंसर भी। इन सब समस्याओं की शुरुआत आमतौर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) से ही शुरू होती है। क्या है ये इंसुलिन रेजिस्टेंस, इसके खतरे क्या हैं और आप इसे कैसे पहचान सकते हैं? आज इसी पर करेंगे बात
इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) को समझने से पहले हमें इंसुलिन को समझना पड़ेगा। इंसुलिन हमारे शरीर के अंदर पैदा होने वाला ही हार्मोन है जो हमारे शरीर के ग्लूकोज को शरीर के सेल्स तक पहुँचने में मदद करता है, जिसकी वजह से हमारा शरीर अच्छे ढंग से काम कर पाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति में यह होता है कि हमारा शरीर उसी इंसुलिन का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता, इसलिए समस्याएं शुरू होती हैं।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टर लिपिका श्रीवास्तव के अनुसार कुछ एक लक्षण हैं जिनसे आसानी से जाना जा सकता है कि आपके शरीर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) का खतरा मंडरा रहा है।
1. इंसुलिन रेजिस्टेंस से पेट के आसपास ज्यादा चर्बी जमा हो जाती है। यह एक बड़ा लक्षण है जो ये दिखाता है कि आपका शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा।
2. अगर बार-बार प्यास लगे और बार बार पेशाब करने की जरूरत पड़े तो ये भी इंसुलिन रेजिस्टेंस का लक्षण हो सकता है।
3. बार–बार थकान और कमजोरी महसूस होना भी इंसुलिन रेजिस्टेंस के लक्षणों में से एक है।
4. इंसुलिन रेजिस्टेंस का असर आपके ब्लड प्रेशर पर भी पड़ता है। अगर ब्लडप्रेशर बार बार हाई हो रहा हो तो आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) का खतरा हो सकता है।
5. अगर आपको बार-बार मीठा खाने का मन हो रहा हो तो ये भी इंसुलिन रेजिस्टेंस का लक्षण हो सकता है ।
1. जीन (Genes) – अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज़ रही है तो आपको भी इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) होने का खतरा हो सकता है।
2. ज्यादा वजन – बढ़ता वजन इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या के कारणों में से एक है। पेट के पास जमी चर्बी शरीर को इंसुलिन रेजिसटेंट बना देती है।
उम्र बढ़ने के साथ लोग अपने वजन पर नियंत्रण नहीं रख पाते जिस वजह से इंसुलिन रेजिसटेन्स की समस्या का जन्म होता है।इंसुलिन रेजिस्टेंस के ही परिणाम के तौर पर डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर जैसी समस्या होती है।
3. व्यायाम ना करना – अगर आप ज्यादा एक्टिव नहीं हैं और व्यायाम नहीं करते तो शरीर का इंसुलिन के प्रति रिस्पांस कम हो सकता है।
4. शराब और स्मोकिंग – शराब और स्मोकिंग हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों को काम करने से रोकते हैं या उन्हें धीमा करते हैं। हमारा शरीर इंसुलिन का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है, उसकी वजहें ये दोनों भी हो सकते हैं।
इस टेस्ट से पहले रात भर आपको बिना कुछ खाए-पिए रहना होता है जिसके बाद सुबह आपके शरीर में शुगर की मात्रा चेक की जाती है। अगर यह 100-125 mg/dL के बीच हो तो ये इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) का लक्षण हो सकता है।
यह टेस्ट पिछले 2-3 महीनों में आपके खून में शुगर के एवरेज को मापता है। अगर A1C 5.7% से 6.4% के बीच हो, तो इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) हो सकता है।
इस टेस्ट में आपके खून में इंसुलिन का लेवल चेक किया जाता है। अगर इंसुलिन का लेवल ज्यादा हो तो इसका मतलब है कि आपका शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा।
इस टेस्ट में आपके शुगर और इंसुलिन के लेवल का हिसाब लगाया जाता है ताकि इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) का पता लगाया जा सके।
डॉक्टर लिपिका के अनुसार इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) का सबसे बड़ा खतरा टाइप 2 डायबिटीज़ है। जब शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता तो खून में शुगर का लेवल लगातार बढ़ता चला जाता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से ही डायबिटीज का खतरा बढ़ता चला जाता है। इसी वजह से, अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस को समय पर कंट्रोल नहीं किया जाता तो ये टाइप 2 डायबिटीज़ में बदल सकता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से दिल की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ सकता है। जब खून में शुगर का लेवल ज्यादा होता है तो इसकी वजह से हाई ब्लडप्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल की भी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) की वजह से खून में फैट की मात्रा भी बढ़ती चली जाती है। इसकी वजह से भी दिल की बीमारियों के खतरे हो सकते हैं।
इंसुलिन रेजिस्टेंस और हाई ब्लड प्रेशर का आपस में कनेक्शन है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर में सोडियम बढ़ जाता है जो हाई ब्लडप्रेशर की वजह बनता है। इसी की वजह से दिल और किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है।
अगर शरीर इंसुलिन का ठीक ढंग से इस्तेमाल ना कर पाए तो लीवर में फैट जमा होना शुरू हो जाता है। इसे हम आम भाषा में फैटी लीवर कहते हैं। लेकिन ये खतरा यहीं तक नहीं है। आगे चलकर ये लीवर कैंसर में भी तब्दील हो सकता है।
नियमित तौर पर व्यायाम करना जैसे दौड़ना, पैदल चलना या साइकिल चलाना, शरीर को इंसुलिन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने में मदद करता है।
हेल्दी खाने की आदत डालें। खाने, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और अच्छे फैट्स (जैसे एवोकाडो, नट्स) शामिल हों, इंसुलिन रेजिसटेन्स (Insulin resistance) कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा खाने में शक्कर और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
यदि आपका वजन ज्यादा है तो इसे कम करने की कोशिश करिए। पेट के आसपास की चर्बी (Fat) कम करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस कंट्रोल हो सकता है।
कुछ दवाइयाँ, जैसे मेटफॉर्मिन, शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना सकती हैं। लेकिन हाँ, इन दवाइयों को डॉक्टर की सलाह से ही लेना है।
ज्यादा तनाव (Stress) से शरीर में शुगर लेवल बढ़ सकता है जिससे इंसुलिन रेजिसटेन्स (Insulin resistance) के चनसेस बढ़ते हैं, इसलिए तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और रिलैक्सेशन जैसी चीजों का इस्तेमाल करें।
कुल मिला कर इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) ऐसी समस्या है जिसे इलाज की तुरंत जरूरत होती है। अगर आप इसे इग्नोर करेंगे तो ये आपको बड़े बीमारियों की तरफ पहुंचा सकती है। अभी आपने ऊपर जो भी लक्षण पढे, अगर उनमें से एक भी महसूस हो तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करके उनसे उचित सलाह जरूर ले लें।