डायबिटीज के बढ़ते मामले बड़ी चिंता का विषय बन रहे हैं। डायबिटीज आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती है, और आपका ब्लड शुगर लेवल तमाम अन्य शारीरिक क्रियाओं पर नकारात्मक असर डालता है। हाई ब्लड शुगर लेवल पाचन क्रिया, हृदय स्वास्थ्य, त्वचा स्वास्थ्य, किडनी और लिवर फंक्शन के साथ ही आपकी नींद को भी प्रभावित करता है। डायबिटीज के मरीजों (diabetic patient) को नींद नहीं आती या उनकी नींद बार-बार खुल जाती है। जिस वजह से वे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते और ऐसे में उन्हें कई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स नोएडा के कंसलटेंट पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर विज्ञान मिश्रा ने डायबिटीज और नींद का कनेक्शन समझाया है। उन्होंने बताया है कि किस तरह बढ़ता ब्लड शुगर लेवल आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर ने सभी डायबिटीज के मरीजों के लिए कुछ ऐसे टिप्स दिए हैं, जिनकी मदद से वे एक हेल्दी स्लीप साइकिल मेंटेन कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, बढ़ते ब्लड शुगर लेवल और नींद से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी (How to get healthy sleep with diabetes)।
टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को असंतुलित ब्लड शुगर लेवल और डायबिटीज से संबंधित लक्षणों के कारण नींद की समस्या होती है।
रात के दौरान हाई शुगर लेवल (हाइपरग्लाइसेमिया) और लो शुगर लेवल (हाइपोग्लाइसेमिया) अनिद्रा और अगले दिन थकान का कारण बन सकते हैं।
कई अन्य गंभीर बीमारियों की तरह, डायबिटीज के बारे में अवसाद या तनाव की भावनाएं भी आपको रात में जगाए रख सकती हैं।
जब ब्लड शुगर का स्तर अधिक होता है, तो आपकी किडनी आपको बार-बार पेशाब करने का संकेत देती है। ऐसे में रात के दौरान, बार-बार बाथरूम जाने से नींद में खलल पड़ता है।
हाई ब्लड शुगर के कारण सिरदर्द, प्यास में वृद्धि और थकान भी हो सकता है, जिससे नींद पूरी होने में समस्या हो सकती है।
राष्ट्रीय मधुमेह और पाचन और गुर्दा रोग संस्थान (NIDDK) के अनुसार बहुत अधिक घंटों तक बिना खाए रहना या डायबिटीज की दवाइयों को गलत संतुलन से लेना लो शुगर के स्तर का कारण बन सकता है।
डायबिटीज की मरीज है और अचानक से आपको थकान, नींद न आना या किसी अन्य चिंताजनक लक्षण का अनुभव हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। वे इनके कारण पहचानने में आपकी मदद कर सकते हैं, और आपके रक्त शर्करा के स्तर को अधिक स्थिर रखने का सुझाव दे सकते हैं।
नींद की कमी हार्मोनल बैलेंस को प्रभावित करती है। जिसकी वजह से आपका नियमित खान-पान असंतुलित हो जाता है और वजन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है। यदि आपको डायबिटीज है, तो यह आपके लिए अधिक गंभीर हो सकता है। नींद की कमी या कम समय तक सोने के बाद व्यक्ति अधिक मात्रा में खाना खाता है। ताकि उन्हें जागने के लिए ऊर्जा मिलती रहे।
ऐसे में बॉडी में कैलोरीज की मात्रा बढ़ती हैं, जिसकी वजह से आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। वहीं आपकी रातों की नींद पूरी नहीं होती और व्यक्ति पूरी रात जागता रहता है।
नींद की कमी मोटापे का कारण बन सकती है। नेशनल लाइब्रेरी आफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देता है। हालांकि, यह केवल डायबिटीज के मरीजों पर ही लागू नहीं है। यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है।
नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल को मैनेज रखना हेल्दी स्लीप के लिए बहुत जरूरी है। जब ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहता है, तो फ्रिक्वेंट यूरिनेशन, रैपिड हार्टबीट जैसे लक्षणों से बचना आसान हो जाता है। जिससे आप अच्छी और गहरी नींद ले पाते हैं।
इसके अलावा एक हेल्दी स्लीप एनवायरमेंट और स्लिप हाइजीन का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि आपकी नींद की गुणवत्ता इन दो चीजों पर निर्भर होती है।
सोने से पहले फोन चलाना फोन पर बातें करना वीडियो गेम खेलना या टीवी देखना या बचे हुए काम को पूरा करने जैसी गतिविधियों में भाग ना लें क्योंकि सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल आपकी नींद में खलल डाल सकता है।
रात को सोने से पहले लिक्विड टाइट नहीं लेना चाहिए, साथ ही साथ डेजर्ट के नाम पर एडेड शुगर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज रखें। यदि आप डायबिटीज में स्वस्थ एवं संतुलित नींद चाहती हैं, तो डिनर को हल्का रखें और खाने के बाद 15 से 20 मिनट की वॉक जरूर करें।
इतना ही नहीं दोपहर के बाद कैफीन और निकोटीन जैसी चीजों से पूरी तरह परहेज करें क्योंकि यह आपकी नींद को प्रभावित कर सकती हैं। चाय, कॉफी आदि लेने से नींद में बाधा आ सकती है। असंतुलित नींद आपके ब्लड शुगर लेवल पर नकारात्मक असर डालती हैं। साथ ही साथ नियमित बेड टाइम स्थापित करें ताकि आपको एक उचित समय पर सोने की आदत हो जाए।
इसके अलावा नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और अन्य शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहें जिससे कि आपकी बॉडी को रेस्ट की जरूरत हो और बेड पर जाने के कुछ देर बाद आपको नींद आने लगे।
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