इंस्टेंट भूख मिटाने और पार्टी की प्लानिंग करने के लिए रेडी टू ईट मील और स्नैक्स का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। व्यस्त दिनचर्या के चलते अक्सर लोग पैकट बंद फूस्ट को खाना पसंद करते है। इससे स्वाद की तो प्राप्ति होती है, मगर साथ ही पाचन संबधी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ने लगता है। इन्हें तैयार करने और इनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शुगर, कलर और प्रीजर्वेटिव समेत अन्य चीजें स्वास्थ्य संबधी समस्या का कारण साबित होती है। जानते हैं क्यों नए साल की शुरूआत रेडी टू ईट मील्स (Ready to eat foods side effects) से करने से परहेज करना चाहिए।
रेडीटू.ईट मील को प्री पैकेज्ड मील भी कहा जाता है। ये वो खाद्य उत्पाद हैं जिन्हें जल्दी और आसानी से खाने के लिए पूरी तरह से पकाया, तैयार और पैक किया जाता है। इस तरह के फूड्स आम तौर पर कई फॉर्मस में उपलब्ध होते हैं। खासतौर से फ्रोजन डिनर, डिब्बाबंद सूप, पैक्ड सैंडविच, पैकट बंद चिप्स और सलाद भी।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि रेडी टू ईट मील्स (Ready to eat foods side effects) का सेवन करने से शरीर में सोडियम और शुगर की मात्रा बढ़ती है। इनमें मौजूद एडिशनल फैट्स से मोटापे की समस्या बढ़ने लगती है। फूड्स को आकर्षित बनाने के लिए कई तरह के आर्टिफिशल कलर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। साथ ही डायबिटीज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।
कई रेडी टू ईट मील (Ready to eat foods side effects) में बहुत अधिक मात्रा में प्रोसेस्ड इंग्रीडिएंटस पाए जाते है। इसमें खासतौर से इंग्रीडिएंटस, आर्टिफिशल फ्लेवर और नकली रंग पाए जाते हैं। यदि आप इन्हें नियमित रूप से खाते हैंए तो इससे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता हैं और पाचन संबधी समस्याएं बढ़ जाती है। इसके अलावा इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर होने लगता है।
इन मील्स को नियमित रूप से खाने से शरीर में सोडियम यानि नमक की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगती है, जो हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा देता है। नेशनल हेल्थ सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार शरीर में मौजूद नमक की मात्रा का लगभग तीन चौथाई हिस्सा रेडी टू.ईट मील से मिलता है।
इसके नियमित सेवन से शरीर को फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की प्राप्ति नहीं होती है। इससे शरीर में संक्रमण का प्रभाव बढ़ने लगता है और कमज़ोरी बढ़ जाती हे। इससे शरीर में पोषण की जगह एंप्टी कैलोरीज़ की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके चलते शरीर में थकान, मूड स्वि्ांग और एनीमिया का सामना करना पड़ता है।
चीनी का इस्तेमाल करने से शरीर कर वज़न बढ़ने लगता है। इससे शरीर में टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ता है और दांतों के स्वास्थ्य को भी नुकसान की सामना करना पड़ता है। शरीर में पाई जालने वाली अतिरिक्त कैलोरीज़ वेटगेन का कारण साबित होती हे। शुगर सिरप को कप केक्स, पेय पदार्थो और डेजर्ट मे शामिल करने से शरीर में कैलोरीज़ बढ़ने लगती है। इससे शरीर को कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ता है।
आहार में शामिल रेडी टू ईट खाद्य पदार्थों का स्वाद और टैक्सचर बदलने के लिए कई तरह के रंगों और प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी मदद से फूड्स की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इसके लिए आहार में मोनोसोडियम ग्लूटामेट और उच्च.फ्रक्टोज़ कॉर्न सिरप समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर में पाचन संबंधी समस्याओं, स्किन एलर्जी और कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है।
इस तरह की मील्स से शरीर में अनहेल्दी और ट्रांस फैट्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है। इससे हृदय रोगों का बढ़ने लगता है। इसका अत्यधिक सेवन करने से शरीर में हृदय रोगों, वेट गेन और इंसुलिन रज़िसटेंस का खतरा बढ़ने लगता है।