आजकल कई लोग अपनी फिटनेस के प्रति कॉन्शियस होते जा रहे हैं और अपनी वेट लॉस जर्नी (weight loss journey) की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में क्या खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए और किस पॉर्शन साइज़ में खाना चाहिए इसका ज्ञान आपको हर कोई देता हुआ नज़र आ जाएगा। एक्सपर्ट और फिटनेस इंफ्लुएंसर भी हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह देते हैं, लेकिन साथ ही ये भी कहते हुये नज़र आते हैं कि यदि आपको अपनी पसंद का कुछ खाना है तो पॉर्शन साइज़ का ज़रूर ख्याल रखें।
तो आखिर ये पॉर्शन साइज़ (Portion Size) है क्या? और क्या सिर्फ वज़न घटाने के लिए ही यह कारगार है या इसके अलावा भी इसके कुछ फायदे हैं? तो चलिये आज इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि क्या होता है पॉर्शन साइज़? और क्यों हर किसी को है इसकी ज़रूरत।
पॉर्शन साइज़ को भोजन की मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे कोई व्यक्ति एक बार में खाता है। हम एक बार में कितना खा रहे हैं और हमें कितना खाना चाहिए, ये हमें पॉर्शन साइज़ की मदद से पता चलता है।
उदाहरण के लिए यदि हम अपनी खाने की प्लेट को चार के हिस्से में डिवाइड कर दें और फिर एक भाग में दाल, दूसरे में चावल, तीसरे में सब्जी और चौथे में सलाद रखें तो यह एक हेल्दी पॉर्शन साइज़ माना जाएगा।
वहीं दूसरी ओर यदि हम सिर्फ दाल और चावल खा रहे हैं या सिर्फ रोटी और सब्जी, खा रहे हैं जिसमें 3 से 4 रोटी हैं तो यह एक हेल्दी पॉर्शन साइज़ नहीं माना जाएगा।
पॉर्शन कंट्रोल या पॉर्शन साइज़ के बारे में एक चीज़ जानना महत्वपूर्ण है कि ये सर्विंग साइज़ से अलग होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार पॉर्शन साइज़ वो होता है जो आपको खाना चाहिए और सर्विंग साइज़ वो है जो आपको खाने के लिए दिया जाता है। तो जितना ज़्यादा सर्विंग साइज़ होगा आपके वज़न बढ़ने के उतने ज़्यादा चांस हैं।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, आपको जितना ज्यादा खाना दिया जाएगा, आप उतना ही ज्यादा खाएंगे। इसलिए, जब आप छोटे हिस्सों में खाते हैं, तो छोटी प्लेट या बोल पर स्विच करें, जिससे आपको लगे कि पॉर्शन साइज़ पर्याप्त है।
सही पॉर्शन साइज़ आपको वज़न कम करने में मदद कर सकता है और ओवरइटिंग से भी बचा सकता है।
आपका शरीर आपके द्वारा खाए जाने वाले फूड्स – विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है। यह एक प्रकार की शुगर होती है जो आपके शरीर की ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करती है। तो जब आप ज़्यादा मात्रा में खाना खाते हैं, तो आपके ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है। जब आपका रक्तप्रवाह ग्लूकोज से भर जाता है, तो आपका अग्न्याशय उस ग्लूकोज को उपयोग में लाने के लिए इंसुलिन छोड़ता है।
मगर जितनी तेजी से ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है, उतनी ही अधिक संभावना है कि आपका अग्न्याशय प्रतिक्रिया में बहुत अधिक इंसुलिन का उत्पादन करेगा, जिससे लो ब्लड शुगर हो सकता है। इसी वजह से आपके ब्रेन को लगता है कि आपको अधिक ग्लूकोज की आवश्यकता है, और आपको भूख लगने लगती है।
नोट – यही वजह है कि हमें शुगर क्रेविंग होती हौ और हम ज़्यादा खा लेते हैं।
किसी ने सच कहा है कि जितना ज़्यादा खाओ उतनी ज़्यादा भूख लगती है। यदि पॉर्शन साइज़ न कंट्रोल किया जाए तो हमें बहुत जल्दी भूख लगने लगती है। छोटे हिस्से में खाने से क्रेविंग पर अंकुश लग सकता है और कुल कैलोरी की मात्रा को भी कम करने में मदद मिल सकती है। यदि हम पॉर्शन कंट्रोल करके खाएंगे तो हमारा पेट भी जल्दी भर जाएगा और भूख भी नहीं लगेगी।
ब्रिटिश न्यूट्रिशन फाउंडेशन खाने के बाद ज़्यादा तृप्त महसूस करने के लिए धीमी गति से खाने और छोटे हिस्से में खाने का सुझाव देता है।
त्योहार में अच्छा खाना देखकर हम बिना किसी पॉर्शन कंट्रोल के खाते हैं। मगर यह रोज़ करना सेहत के लिए सही नहीं है और न ही पाचन तंत्र के लिए। हर रोज़ बिना पॉर्शन साइज़ कंट्रोल किए और ढेर सारा खाना खाने की वजह से ओवरइटिंग होती है। जिसकी वजह से पाचन तंत्र में कई समस्याएं आ सकती हैं।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार ज़्यादा खाने से आपको अपच होने का भी खतरा होता है, क्योंकि भरा हुआ पेट हाइड्रोक्लोरिक एसिड को आपके अन्नप्रणाली में वापस धकेल सकता है।
यदि आप पॉर्शन का ध्यान रखते हुये खाएंगे, तो ब्लोटिंग नहीं होगी। इसके अलावा, कब्ज की समस्या नहीं आएगी, कैलोरीज़ का कम सेवन होगा, वज़न नहीं बढ़ेगा। आप खुद को ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर पाएंगी।
तो अपनी हर मील के साथ पॉर्शन कंट्रोल करना न भूलें, और ध्यान रखें कि इसका मतलब ये नहीं है कि आपको भूखा रहना है या आपको कम खाना चाहिए।
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